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भगवान विष्णु के 10 अवतार तथा हर अवतार के पीछे की कहानी और उनका महत्व

vishnu dashavatar name

हिन्दू धर्म में सभी देवी देवताओं में त्रिदेवों अर्थात ब्रह्मा, विष्णु और महेश को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। त्रिदेवों में से भी भगवान विष्णु ने कई बार अवतार लिए हैं, परन्तु उनमें से भी भगवान विष्णु के दशावतार (vishnu dashavatar name in hindi) सबसे प्रमुख हैं।

 

“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदाऽऽत्मानं सृजाम्यहम्।।”

 

गीता के चौथे अध्याय के सातवें श्लोक में भगवान कहते हैं कि जब – जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब – तब मैं ही स्वयं को साकार रूप से प्रकट करता हूँ। इसका अर्थ है कि जब जब धरती पर धर्म की हानि होती है और पाप बढ़ता है, तब तब भगवान दुष्टों के विनाश और धर्म की स्थापना के लिए अवतार लेते हैं।

 

क्या है भगवान विष्णु के दशावतार (Vishnu Dashavatar Name)?

जब जब धरती पर पाप बढ़ता है, तब तब ईश्वर किसी न किसी रूप में धरती पर जन्म लेते हैं। श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के कुल 24 अवतार हैं, जिसमें से 23 अवतार हो चुके हैं तथा 24वां अवतार कल्कि अवतार होना शेष है। इन 24 अवतारों में से भी भगवान विष्णु के 10 अवतार प्रमुख माने गए हैं, इन्हीं 10 अवतारों को भगवान विष्णु के दशावतार (vishnu dashavatar name in hindi) कहा जाता है।

आइये, जानते हैं भगवान विष्णु के 10 अवतार, जिन्हें दशावतार (vishnu dashavatar name in hindi) भी कहा जाता है, के बारे में विस्तार से :

 

1) मत्स्य अवतार (Matsya Avatar)

 

भगवान विष्णु के दशावतार (vishnu dashavatar name in hindi) में पहला अवतार है मत्स्य अवतार। सत्ययुग में सत्यव्रत नाम के एक राजा हुए, जो भगवान विष्णु के परम भक्त थे। एक दिन सत्यव्रत नदी किनारे अर्घ्य दे रहे थे, जैसे ही उन्होंने अर्घ्य देने के लिए अंजुली में पानी लिया, तभी उनके हाथों में भगवान विष्णु मछली के रूप में प्रकट हुए।

वे जैसे ही मछली को पानी में वापस छोड़ने लगे, तब मछली ने बड़ी मछलियों से रक्षा करने का निवेदन किया। उसके बाद सत्यव्रत उन्हें महल ले गए, वहां पहले कमंडल में, तत्पश्चात घड़े में और उसके बाद तालाब में रखा, इस दौरान मछली का आकार निरंतर बढ़ता रहा।

तब सत्यव्रत ने पूछा कि आप कौन हैं? उसके बाद मछली ने सत्यव्रत को बताया कि 7 दिन बाद महाप्रलय आएगी, उस समय तुम अपने साथ बीजों, वनस्पतियों, प्राणियों एवं सप्तऋषियों के साथ एक नाव में सवार हो जाना। जब महाप्रलय आयी, तो भगवान विष्णु पुनः मत्स्य अवतार में पधारे तथा नाव को दिशा देकर नए युग का प्रारम्भ किया।

 

2) कूर्म अवतार (Kurma Avatar)

भगवान विष्णु के दशावतार (vishnu dashavatar name in hindi) में दूसरा अवतार है कच्छप या कूर्म अवतार, इस अवतार में भगवान विष्णु ने एक कछुए का रूप लिया था। एक समय देवासुर संग्राम के दौरान अमृत कुंड समुद्र में गिर जाता है, तब अमृत तथा अन्य बहुमूल्य रत्नों को प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने का निर्णय लिया गया।

समुद्र मंथन के लिए मंदार पर्वत को मथनी, वासुकि नाग को रस्सी बनाया गया, तब भगवान विष्णु ने कच्छप अवतार लेकर मंदार पर्वत को अपनी पीठ पर धारण किया, जिससे समुद्र मंथन संभव हो सका।

 

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3) वराह अवतार (Varaha Avatar)

भगवान विष्णु के दशावतार (vishnu dashavatar name in hindi) में तीसरा अवतार है वराह अवतार। एक समय हिरण्याक्ष नाम के राक्षस के अत्याचार धरती पर इतने अधिक बढ़ गए थे कि उसने आसुरी शक्तियों के बल पर पृथ्वी को पाताल लोक में छिपा दिया था।

उस समय पृथ्वी की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने वराह अवतार लिया, जिसमें उनका शरीर मनुष्य का था तथा उनका मुख वराह का। भगवान विष्णु ने वराह रूप में हिरण्याक्ष का वध कर पृथ्वी को पाताल लोक से निकालकर अपने स्थान पर पुनः स्थापित किया।

 

4) नृसिंह अवतार (Narsimha Avatar)

भगवान विष्णु के दशावतार (vishnu dashavatar name in hindi) में चौथा अवतार है नृसिंह अवतार। वराह अवतार के हाथों मृत्यु को प्राप्त हो चुके हिरण्याक्ष के बाद उसके भाई हिरण्यकश्यप ने भगवान विष्णु की पूजा पर प्रतिबन्ध लगा दिया, परन्तु उसका अपना पुत्र प्रह्लाद महान हरिभक्त था। तब हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद पर कई प्रकार के अत्याचार प्रारम्भ कर दिए।

हिरण्यकश्यप के अत्याचारों से प्रह्लाद की रक्षा करने के लिए भगवान श्री हरी विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया। इस अवतार में उनका शरीर मनुष्य अर्थात नर का था तथा उनका मुख सिंह का था, इसीलिए इसे नृसिंह अवतार कहा गया। भगवान नृसिंह ने हिरण्यकश्यप का वध कर प्रह्लाद को राजा नियुक्त किया तथा धर्म की पुनः स्थापना की।

 

5) वामन अवतार (Vamana Avatar)

भगवान विष्णु के दशावतार (vishnu dashavatar name in hindi) में पांचवा अवतार है वामन अवतार। हिरण्यकश्यप के वध के बाद असुरों के राजा प्रह्लाद हुए तथा बाद में प्रह्लाद के पौत्र बलि असुरों के राजा हुए। बलि असुर होते हुए भी एक दानवीर राजा था, फिर भी वह अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने लगा।

एक दिन जब बलि यज्ञ कर रहा था, तब भगवान विष्णु ने एक ब्राह्मण का रूप धरा, जिसे वामन अवतार कहा गया। बलि ने उनसे दान मांगने को कहा, तब वामन रूपी भगवान विष्णु ने तीन पग धरती दान में मांगी। वामन भगवान ने पहले पग में धरती और दूसरे पग में स्वर्ग नाप लिया, जब तीसरे पग के लिए पूछा तो बलि ने अपना सर आगे कर दिया। बलि के समर्पण भाव को देखकर वामन देव ने उसे पाताल लोक का राजा बना दिया।

 

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6) परशुराम (Parshurama)

भगवान विष्णु के दशावतार (vishnu dashavatar name in hindi) में छठा अवतार है भगवान परशुराम का। परशुराम का जन्म महर्षि जमदग्नि और रेणुका के पुत्र के रूप में हुआ था तथा उनका नाम राम था, परन्तु भगवान शिव के द्वारा परशु (फरसा) दिए जाने पर वे परशुराम कहलाये।

उस समय धरती पर क्षत्रियों का अत्याचार बहुत बढ़ गया था, क्षत्रिय दुराचारी और धर्म विमुख हो चुके थे, तब भगवान परशुराम ने अत्याचारी क्षत्रियों का वध करके संसार में फिर से धर्म की स्थापना की थी।

 

7) श्री राम (Shri Rama Avatar)

भगवान विष्णु के दशावतार (vishnu dashavatar name in hindi) में सातवां अवतार है भगवान श्रीराम का। भगवान श्रीराम का जन्म त्रेतायुग में राजा दशरथ और कौशल्या के पुत्र के रूप में हुआ था। भगवान श्री राम ने पूरे जीवन में एक व्यक्ति के लिए आदर्श स्थापित किये,  इसीलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है।

श्रीराम ने उस काल के सबसे बड़े अत्याचारी राक्षस रावण का वध कर संसार में धर्म की पुनर्स्थापना की थी। भगवान श्रीराम के जीवन पर महर्षि वाल्मीकि ने वाल्मीकि रामायण और गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस की रचना की थी।

 

8) श्री कृष्ण (Shri Krishna Avatar)

भगवान विष्णु के दशावतार (vishnu dashavatar name in hindi) में आठवां अवतार है यशोदानन्दन भगवान श्रीकृष्ण का। भागवत ग्रंथ में भगवान कृष्ण की लीलाओं का अद्भुत और मनोरम चित्रण मिलता है। इन्हें गोपाल, गोविंद, देवकी नंदन, वासुदेव, मोहन, माखन चोर, मुरारी जैसे अनेकों नामों से पुकारा जाता है।

इनका जन्म द्वापरयुग में मथुरा में देवकी और वसुदेव के पुत्र के रूप में हुआ था। योगेश्वर श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसमें उन्होंने अर्जुन के सारथी के रूप में पांडवों का मार्गदर्शन किया था तथा युद्ध से पहले उन्होंने अर्जुन को गीता उपदेश दिया था, जो आज भी पूरे विश्व में पढ़ा जाता है।

 

9) गौतम बुद्ध (Buddha Avatar)

भगवान विष्णु के दशावतार (vishnu dashavatar name in hindi) में नौवां अवतार है गौतम बुद्ध का। गौतम बुद्ध ने विश्व के चार बड़े धर्मों में से एक बौद्ध धर्म की स्थापना की थी। इनका जन्म क्षत्रिय कुल के शाक्य नरेश शुद्धोधन के पुत्र सिद्धार्थ के रूप में 563 ईसा पूर्व में नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था।

एक दिन अपने राज्य में घूमते हुए उन्हें एक वृद्ध आदमी, रोगी मनुष्य, अर्थी और प्रसन्नचित्त सन्यासी दिखा, इन दृश्यों को देखने के बाद सिद्धार्थ को संसार से विरक्ति हो गयी तथा वे ज्ञान प्राप्ति के लिए निकल पड़े। उन्हें 35 वर्ष की आयु में वैशाख पूर्णिमा के दिन बोध गया में निरंजना नदी के तट पर पीपल वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्ति हुई। इसके बाद वे संसार को मोह माया और दुःखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग पर निकल पड़े।

 

10) कल्कि अवतार (Kalki Avatar)

भगवान विष्णु के दशावतार (vishnu dashavatar name in hindi) में दसवां अवतार है भगवान कल्कि का। भगवान विष्णु के नौ अवतार अब तक हो चुके हैं, जबकि कल्कि अवतार होना शेष है। भगवान विष्णु के 10 अवतार में से यह अवतार कलियुग के अंत में होगा।

श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार जब कलियुग में पाप और अधर्म चारों और फ़ैल जाएगा तथा अधर्मी लोगों का ही बोलबाला होगा, तब भगवान विष्णु उत्तर प्रदेश के संभल गाँव में विष्णु यश नामक ब्राह्मण की पत्नी सुमति के गर्भ से जन्म लेंगे तथा पुनः धर्म की स्थापना करेंगे।

 

तो यह है भगवान विष्णु के दशावतार (vishnu dashavatar name in hindi) की कथा और उनके नाम। इस प्रकार देखा जाए तो भगवान विष्णु ने अपने प्रत्येक अवतार में धर्म की स्थापना और विश्व का कल्याण ही किया है।

हमें आशा है कि भगवान विष्णु के दशावतार (vishnu dashavatar name in hindi) के बारे में यह लेख आपको अच्छा लगा होगा।

 

Frequently Asked Questions

Question: भगवान विष्णु के दशावतार (vishnu dashavatar name) कौन कौन से हैं?

भगवान विष्णु के दशावतार (vishnu dashavatar name) इस प्रकार है – मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वराह अवतार, नृसिंह अवतार, वामन अवतार, भगवान परशुराम, भगवान श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण, गौतम बुद्ध और भगवान कल्कि।

Question: भगवान विष्णु के दशावतार (vishnu dashavatar name) में से कौन सा अवतार किस युग में होगा?

भगवान विष्णु के दशावतार (vishnu dashavatar name) में से मत्स्य, कूर्म और वराह अवतार सतयुग में, नृसिंह अवतार, वामन, परशुराम अवतार और भगवान श्री राम का अवतार त्रेतायुग में, भगवान श्री कृष्ण का अवतार द्वापरयुग में तथा गौतम बुद्ध और कल्कि कलियुग में अवतरित हैं, इनमें से कल्कि का अवतार होना अभी शेष है।

 

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