नाम राम को अंक है सब साधन हैं सून।अंक गए कछु हाथ नहिं अंक रहे दस गून।। तुलसीदास जी कहना चाहते हैं कि श्री राम का नाम अगर कोई जपेगा तो उसको १० गुना ज्यादा लाभ मिलेगा।
नाम राम को कल्पतरु कलि कल्याण निवासु।जो सुमिरत भयो माँग तें तुलसी तुलसीदासु।।श्री राम का नाम परम सुखदाई और कल्याणकारी है। नशीली चीज को भी तुलसी में बदल देता है।
राम नाम जपि जीहँ जन भए सुकृत सुखसालि।तुलसी इहाँ जो आलसी गयो आज की कालि।।जिस व्यक्ति की जिव्हा पर हर समय श्री राम जी का नाम रहता है वो व्यक्ति सभी दुखो से मक्त हो जाता है।
राम नाम सुमिरत सुजस भाजन भए कुजाति।कुतरुक सुरपुर राजमग लहत भुवन बिख्यति।। श्री राम का नाम इतना कल्याण कारी है कि दुष्ट और नीच लोग भी अगर उनका सिमरन करे उनमें भी सद्गुण आ जाते हैं ।
मोर मोर सब कहं कहसि तू को कहू निज नाम।कै चुप साधहि सुनि समुझि कै तुलसी जपु राम।।मेरा मेरा कहने से व्यक्ति स्वार्थी हो जाता है। स्वार्थ छोडकर श्री राम का नाम जपना चाहिए।
राम नाम अवलंब बिन परमारथ की आस।बरषत बारिद बूंद गहि चाहत चढ़न अकास।।राम नाम के बिना व्यक्ति कभी भी जीवन मृत्यु के चक्र से बच नही सकता। उसे मोक्ष पाना है तो उसे श्री राम नाम लेना होगा।
बिगरी जनम अनेक की सुधरे अबहीं आजु।होही राम को नाम जपु तुलसी तजि कुसमाजु।।अगर व्यक्ति अपने सभी जन्मो में अपने हालात सुधारना चाहता है तो उसे श्री राम का नाम जपना होगा।
लंका विभीषण राज कपि पति मारुति खग मीच।लही राम सों नाम रति चाहत तुलसी नीच।।यदि मनुष्य जीवन में सुख भोगना चाहता है तो उसे भी श्री राम के शरण में जाना चाहिए और सिमरन करना चाहिए।
जल थल नभ गति अमित अति एजी जग जीवा अनेक।तुलसी तो से दीन कहूँ राम नाम गति एक।।कुछ जीव की गति पानी यानी जल में है लेकिन तुलसी दास जी सिर्फ और सिर्फ श्री राम नाम को ही अपनी गति मानते है।
राम भरोसो राम बल राम नाम विस्वास।सुमिरत सुभ मंगल कुसल माँगत तुलसीदास।।तुलसी दास जी का कहना है कि उन्हें श्री राम के नाम पर पूर्ण भरोसा है। नाम जपने से ही उनके सभी दुखो का नाश होगा