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नैतिक मूल्य के ज्ञानवर्धन हेतु पढ़ें पंचतंत्र की कहानियां

panchatantra story in hindi

कहानियाँ हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है तथा यह जीवन में कभी न कभी हमसे जुड़ जाती हैं। बचपन में जब छोटे होते है तो हमारे दादी, मम्मी हमें कहानियाँ सुनाती थी। उन कहानियों में कई तरह की सीख भी छुपी होती थी, जिसे वह हमें समझाने का प्रयास करती हैं। इन कहानियों के माध्यम से हमें जीवन में होने वाले व्यवहार से अवगत कराना चाहती है, ताकि बड़े होकर हम अपनी बुद्धि के बल पर अपना सही तरीके से जीवनयापन कर सकें।

उसी तरह पंचतंत्र की कहानियां (panchatantra story in hindi) भी हमें हमारे नैतिक मूल्यों के बारे में बताती है। इस पुस्तक में कहानियों के माध्यम से लोकव्यवहार को बताया गया है, जो कि बहुत सरल और दिलचस्प है।

पंचतंत्र की कहानियां (panchatantra story in hindi) बच्चे तो पढ़ते ही हैं, साथ ही यह बड़ों के दिलों को भी भाती है। इस लेख में हम आपके लिए पंचतंत्र की कुछ प्रसिद्ध कहानियों का संग्रह लेकर आये है, जो आपको पसंद आएंगी, साथ ही आपके जीवन में एक सीख भी देगी। चलिए जानते है पंचतंत्र की कहानियां (panchatantra story in hindi) विस्तार से।

 

पंचतंत्र क्या है ? Panchtantra kya hai

पंचतंत्र एक प्रसिद्ध संस्कृत पुस्तक है, जिसके रचयिता विष्णु शर्मा हैं। इस पुस्तक में पशु पक्षियों की कहानियों द्वारा नीति व्यवहार को दर्शाया गया है। पंचतंत्र की कहानियां (panchatantra story in hindi) बड़ों से लेकर बच्चों को भी पसंद आती हैं। hindi panchtantra story को पांच भागों में बांटा गया है ।

  • मित्रभेद (अर्थात मित्रों के मध्य मतभेद )
  • मित्रलाभ (मित्र से लाभ )
  • लब्धप्रणाश (हाथ आयी चीज का हाथ से छूट जाना )
  • काकोलुकीयम् (कौवे और उल्लुओं की कहानी )
  • अपरीक्षित कारक (जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहिए )

विष्णु शर्मा द्वारा रचित समस्त panchtantra ki kahaniyan एक सीख देने का प्रयास करती है। इन पंचतंत्र की कहानियां (panchatantra story in hindi) द्वारा लोकव्यवहार को बहुत ही सुन्दर और सरल तरीके से वर्णित किया गया है । 

 

पंचतंत्र की कहानियां ( Panchtantra Ki Kahaniya In Hindi)

1) बुद्धिमान खरगोश

panchtantra story में एक वन में भासुरक नाम का निर्दयी शेर रहा करता था। वह शेर प्रतिदिन जानवरों को मारकर अपनी भूख को शांत करता था तथा वन के जानवर उसके अत्याचार से भयभीत और परेशान थे। फिर एक दिन सभी जानवरों ने मिलकर योजना बनायीं और भासुरक शेर के पास गए।

वहां उन्होंने शेर के समक्ष एक प्रस्ताव रखा और कहा “जानवरों के भक्षण के कारण कोई भी जानवर अपनी जीविका हेतु घर से बाहर निकलने में भयभीत हो रहे हैं। इसलिए प्रतिदिन एक जानवर आपके पास आ जाया करेगा, जिसका आप भोजन कर सकते है। इससे आपको अपनी गुफा से भी बाहर नहीं जाना पड़ेगा।” यह प्रस्ताव शेर को भी बहुत पसंद आता है और वह भी इसपर सहमति दे देता है।

अब वन के जानवर बिना किसी डर के घूमने लगे और एक एक करके जानवर शेर के पास भोजन के रूप में जाने लगे। एक दिन एक खरगोश की बारी आती है जिसे शेर के पास जाना होता है, वह खरगोश बहुत बुद्धिमान था। रास्ते में चलते हुए उसने एक कुए में झाँका, जहाँ उसे कुएं में अपनी परछाई दिखी, जिसे देखकर खरगोश को एक युक्ति सूझी।

वह जानबूझकर देर करते हुए शेर के पास पहुंचा, जिससे भूख के मारे शेर के पेट में चूहे कूद रहे थे। शेर ने खरगोश को देखकर कहा कि “मुझे तेज भूख लगी है और तू इतना छोटा है और उस पर भी बहुत देर से आया है। मैं तुम्हे खा कर अन्य जानवरों को भी खाऊंगा।” यह सुनकर खरगोश बोला – “हमारे कद को देखते हुए आपके भोजन के लिए पांच खरगोश को भेजा था लेकिन रास्ते में दूसरे शेर ने चार खरगोश खा लिए। मैं किसी तरह जान बचाकर आपके पास यही बताने आया हूँ।” यह सुनकर शेर ने गुस्से में कहा – “मेरे होते हुए यह दूसरा शेर कहाँ से आ गया। उसे मेरे समक्ष लाओ।”

तब खरगोश भासुरक शेर को उस दूसरे शेर के पास ले गया और कुए के पास पहुंच कर कहा कि “वह शेर इस कुएं के अंदर है।” जैसे ही भासुरक शेर ने कुएं में झाँका तो उसे अपनी ही परछाई दिखाई दी। उसने जोर से गर्जना की तो कुएं से वही प्रतिध्वनि आयी, जिससे क्रोध में आकर भासुरक कुएं में दूसरे शेर को मारने कूद गया और पानी में उसकी मृत्यु हो गयी। इस तरह वन के प्राणियों को भासुरक से राहत मिली और वह ख़ुशी ख़ुशी जीवनयापन करने लगे।

शिक्षा –  कोई कितना ही ताकतवर क्यों न हो, उसे बुद्धि के बल पर हराया जा सकता है । 

 

2) एकता की शक्ति

पंचतंत्र की कहानियां (panchatantra story in hindi) में एक कहानी गौरेया चिड़िया और हाथी की है। एक वन में एक पेड़ पर गौरेया चिड़िया अपने पति के साथ रहती थी। गौरेया चिड़िया अपने अण्डों से चूजे निकलने की प्रतीक्षा में ख़ुशी से इंतजार करती थी। एक दिन वह अपने अण्डों को जब से रही थी और उसका पति भोजन की तलाश में गया था, तो उस स्थान पर एक पागल हाथी आ जाता है और वह सभी पेड़ों को ध्वस्त करते हुए उस पेड़ के समीप पहुंच जाता है, जहाँ गौरेया का घोंसला था।

हाथी ने उस पेड़ को भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश की, परन्तु पेड़ मजबूत होने के कारण गिरा नहीं। लेकिन उस पेड़ पर से गौरेया का घोंसला नीचे गिर जाता है और उसके सारे अंडे फूट जाते है। इसे देखकर गौरेया बहुत दुखी होती है। थोड़ी देर बाद जब गौरेया चिड़िया का पति वहां आता है तो उसे भी यह देखकर बहुत दुःख होता है और उसे हाथी पर क्रोध आता है।

वह उस हाथी से बदला लेने की सोचता है, फिर गौरेया और उसका पति अपने मित्र कठफोड़वा के पास जाते हैं और पूरी कहानी सुनाते हैं। इस घटना को सुनकर कठफोड़वा उनकी सहायता करने के लिए तैयार हो जाता है। कठफोड़वा अपने अन्य मित्र मेंढक और मधुमक्खी को भी इसमें शामिल कर लेता है । फिर सभी मिलकर हाथी को सबक सिखाने के लिए तैयार हो जाते है ।

सबसे पहले मधुमक्खी हाथी के कान के पास जाकर मधुर संगीत सुनाने लगती है, हाथी भी मधुर संगीत में खो जाता है। तभी मौके का फायदा उठाकर कठफोड़वा हाथी की दोनों आंखे फोड़ देता है। पीड़ा के कारण हाथी चिल्लाने लगता है, तभी मेंढक अपने अन्य साथियों की मदद से टर टर की आवाज़ करने लगता है। आवाज़ सुनकर हाथी को लगता है कि आसपास तालाब है तो वह उस दिशा में जाने लगता है और दलदल में फंस जाता है, जहाँ हाथी की मृत्यु हो जाती है ।

 शिक्षा – कमजोर लोग यदि एक जुट हो जाए तो वह बड़े से बड़े कार्य को भी पूर्ण कर सकते है । इसलिए कहते है एकता में शक्ति होती है । 

 

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3) समुद्र और टिटहरी की कहानी

पंचतंत्र की कहानियां (panchatantra story in hindi) में एक कहानी समुद्र और टिटहरी की है। एक समुद्रतट के समीप एक टिटहरी का जोड़ा रहकर अपना जीवनयापन करता था। जब टिटहरी का प्रसव समय आया तो टिटहरी ने टिटहरे से कहा – “मेरा प्रसव का समय निकट आ रहा है, इसलिए हमें किसी सुरक्षित स्थान पर चलना चाहिए।” इस पर टिटहरे ने कहा – “यह स्थान अंडे देने के लिए उचित है, इसलिए बिना चिंता किये यहीं प्रसव कार्य कर सकते हैं।

” टिटहरे की इस प्रकार की बात को सुनकर टिटहरी ने कहा – “समुद्र में ज्वार आने पर वह हाथी जैसे विशाल प्राणी को भी बहा ले जाता है, इसलिए हमें समुद्रतट से दूर कोई स्थान देखना चाहिए ।” टिटहरे ने फिर कहा – “समुद्र की इतनी हिम्मत कि वह हमारे बच्चों को हानि पहुंचाए। समुद्र में इतना साहस नहीं है, इसलिए तू निश्चिन्त होकर यहीं पर प्रसव कर।”

टिटहरे की यह बात समुद्र भी सुन लेता है। वह सोचता है कि इस टिटहरे को अपने ऊपर बहुत अभिमान है, अतः इसके अभिमान को खंडित करना पड़ेगा। फिर समुद्र अपनी लहरों से टिटहरी के अंडों को बहा ले जाता है। अपने अंडों को जब टिटहरी बहता हुआ देखती है तो वह बहुत दुखी होती है और अपने पति को सुनाने लगती है कि “मैंने पहले ही बोला था कि समुद्र की लहरें अंडों को बहा ले जाएँगी। परन्तु तुमने अभिमानवश मेरी नहीं सुनी।”

इसपर टिटहरा कहता है कि “मै मुर्ख नहीं हूँ। तुम देखती जाओ, मैं अभी अपनी चोंच से समुद्र को सूखा देता हूँ।” टिटहरी कहती है कि “अपनी क्षमता को देखते हुए ही सामने वाले से शत्रुता करनी चाहिए, नहीं तो इसके परिणाम बुरे होते हैं।” परन्तु टिटहरा टिटहरी की बात नहीं सुनता और अपनी चोंच से समुद्र से पानी बाहर लेकर डालने लगता है। ऐसा देखकर टिटहरी कहती है कि “यदि तुमने यही करने का निश्चय कर लिया है तो इसके लिए अन्य साथी पक्षियों से मदद ले लो।” टिटहरे को यह बात अच्छी लगती है और वह अन्य मित्रों के पास जाकर समुद्र द्वारा किये गए बर्ताव के बारे में बताता है।

उनकी बात सुनकर अन्य पक्षी बोलते है कि “इस विषय में गरुड़ ही हमारी मदद कर सकते है इसलिए हमें गरुड़ के पास चलना चाहिए।” सभी लोग गरुड़ के पास जाते हैं और पूरा वृतान्त सुनाते है। इस पर गरुड़ बोलते है कि “यह समुद्र ने अच्छा नहीं किया, उसे सबक सिखाना पड़ेगा ।

उसी वक्त वहां पर भगवान विष्णु के दूत आ जाते हैं और गरुड़ को उनकी सवारी के लिए चलने को बोलते है, जिसे सुनकर गरुड़ जाने से मना कर देते है। गरुड़ दूत को पक्षियों पर समुद्र द्वारा हुए अत्याचार की कथा सुनाते हैं। इसके बाद दूत भगवान विष्णु जी को पूरी बात बताते हैं, जिसपर भगवान् विष्णु गरुड़ के पास आते हैं और बोलते हैं कि “समुद्र ने सही कृत्य नहीं किया इसलिए चलो अभी उसके पास जाकर टिटहरी के अंडे वापस ले लेते हैं।

समुद्र के समीप जाकर भगवान विष्णु ने धनुष पर आग्नेय बाण को चढ़ाकर समुद्र से बोला – “अभी टिटहरी के अपहरण किये हुए अण्डों को वापस कर दो नहीं तो मैं तुम्हारे जल को सूखा दूंगा। यह सुनकर समुद्र ने टिटहरी को उसके अंडे वापस कर दिए।

शिक्षा – हमें कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए, क्यूंकि इसके परिणाम बुरे होते है। 

 

4) साधु और आत्मविश्वासी चूहा

पंचतंत्र की कहानियां (panchatantra story in hindi) में महिलरोपयम नामक शहर में भगवान शंकर का एक मंदिर था, जहाँ पर एक साधु रहते थे और मंदिर की देखरेख करते थे। साधु प्रतिदिन भिक्षा मांगने जाते और वहां से जो भी अनाज मिलता उसे एक कटोरे में रख देते। उस अनाज को वह मंदिर की देखभाल करने वालों में बाँट दिया करते थे।

उस स्थान पर एक चूहा भी रहा करता था। वह साधु द्वारा रखे अनाज में से कुछ अनाज को चुरा लिया करता था। यह प्रक्रिया प्रतिदिन हुआ करती थी। एक दिन साधु को इस बात का पता चला कि एक चूहा अनाज को चुरा लेता है। उस चूहे को भगाने के लिए उन्होंने बहुत यत्न किये परन्तु चूहा किसी न किसी प्रकार से अनाज को चुरा लिया करता था। फिर एक दिन उस मंदिर की यात्रा करने के लिए एक भिक्षुक वहां पर आये। साधु ने भिक्षुक को अपनी पूरी व्यथा सुनाई। भिक्षुक ने उन्हें बहुत ही सरल और ज्ञानवर्धक उपाय बताया। क्या था वह उपाय ? क्या चूहा पकड़ा गया ? क्या साधु अपनी अनाज की रक्षा कर पाएंगे?

इसे जानने के लिए ऊपर दिए गए विडिओ पे क्लिक करें। 

 

5) बंदर और मुर्ख मगरमच्छ की कहानी 

पंचतंत्र की कहानियां (panchatantra story in hindi) में बन्दर और मगरमच्छ की कहानी बहुत प्रचलित है। इस कहानी में एक नदी के किनारे जामुन का पेड़ था, जिस पर एक बन्दर रहा करता था। वह पेड़ के मीठे मीठे जामुन को खाता और बड़े मजे से रहता। एक दिन भोजन की खोज करते हुए एक मगरमच्छ उस पेड़ के समीप आया, जहाँ उसकी मुलाकात बन्दर से हुयी।

बन्दर ने पेड़ के मीठे जामुन मगरमच्छ को खाने को दिए, उसे भी जामुन बहुत स्वादिष्ट लगे। फिर प्रतिदिन मगरमच्छ उस पेड़ के पास आता और बन्दर उसे जामुन खिलाता, इस तरह उनकी मित्रता हो गयी। एक दिन मगरमच्छ ने जामुन को पत्नी को खिलाये। वह जामुन खाते ही सोच में पड़ गयी कि यह जामुन इतने मीठे है तो इस जामुन को देने वाले का कलेजा कितना स्वादिष्ट होगा। वह बन्दर का कलेजा खाने का विचार करने लगी। उसने उसके लिए जो किया इसे पूरा जानने के लिए ऊपर दिए गए विडिओ पे क्लिक करें

 

6) ब्राह्मणी और नेवले की कहानी 

पंचतंत्र की कहानियां (panchatantra story in hindi) में ब्राह्मणी और नेवले की कहानी बहुत प्रसिद्ध है। एक ब्राह्मण के घर एक पुत्र ने जन्म लिया, उसी दिन एक नेवली ने नन्हें नेवले को भी जन्म दिया। ब्राह्मणी अपने पुत्र के साथ साथ उस नेवले का भी अच्छे से ख्याल रखती थी। नेवला भी उसके शिशु के साथ ही रहता और खेला करता था।

एक दिन ब्राह्मणी अपने बच्चे को सोता हुआ छोड़कर नदी से पानी भरने को जाने लगी। ब्राह्मणी ने ब्राह्मण से कहा कि “मैं पानी भरने जा रही हूँ। आप बच्चे और नेवले का ध्यान रखना।” इधर ब्राह्मण ने देखा कि उसका बालक अच्छे से सो रहा है और समीप ही नेवला भी बैठा है। तो वह निश्चिन्त होकर भिक्षा मांगने के लिए चला गया यहाँ जब ब्राह्मणी पानी लेकर पहुंची तो नेवले को खून से लथपथ देखा। इसके बाद जो हुआ, उसे जानने के लिए ऊपर दिए गए विडिओ पे क्लिक करें।

 

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7) बात करने वाली गुफा 

पंचतंत्र की कहानियां (panchatantra story in hindi) में एक चालक लोमड़ी की कहानी है। एक जंगल में एक शेर भोजन की तलाश में बहुत भटक रहा था, पर उसे भोजन कहीं नहीं मिला। फिर वह थक हारकर एक गुफा में जाकर बैठ गया और सोचा कि इस गुफा में जो भी जानवर आएगा उसे मारकर खा लूँगा। फिर थोड़ी देर बाद उस गुफा में रहने वाली लोमड़ी अपनी गुफा के पास आती है। वह गुफा में जाने वाली ही होती है कि उसे शेर के पंजो के निशान वहां दिखाई देते हैं।फिर लोमड़ी क्या करती है इसे जानने के लिए ऊपर दिए गए विडिओ पे क्लिक करें।

 

8) वाचाल कछुआ

पंचतंत्र की कहानियां (panchatantra story in hindi) में एक कहानी वाचाल कछुए की है। एक तालाब में कम्बुग्रीव नामक एक बातुनी कछुआ रहता था, उसके दो मित्र हंस थे जो कि उस तालाब के समीप रहते थे तथा तीनों में प्रगाढ़ मित्रता थी। एक बार बारिश न होने के कारण तालाब का पानी ख़त्म होने लगा तो हंसों को कछुए की चिंता होने लगी। इस पर कछुए ने कहा कि “तुम लोग किसी दूसरे तालाब की खोज करो। फिर मैं एक लकड़ी को मुँह में दबा लूंगा, जिसे लेकर तुम उड़ते हुए मुझे वहां पहुंचा देना।” लेकिन वाचाल कछुए के कारण क्या होता है इसे जानने के लिए ऊपर दिए गए विडिओ पे क्लिक करें।

 

9) चतुर सियार 

पंचतंत्र की कहानियां (panchatantra story in hindi) में एक कहानी चतुर सियार की है। एक वन में महाचतुरक नामक सियार रहता था, एक दिन जब वह जंगल में घूम रहा था तो उसे मरा हुआ हाथी मिला। उसे देखकर वह बहुत प्रसन्न हुआ और मन में सोचा कि आज तो बहुत अच्छी दावत मिल गयी। फिर जैसे ही सियार ने हाथी को खाना चाहा तो हाथी की चमड़ी मोटी होने के कारण वह उसे काट नहीं पा रहा था। उसके बाद वह कुछ उपाय सोचने लगा कि ऐसा क्या करूँ कि जिससे चमड़ी भी कट जाए और सारा मांस मुझे ही खाने को मिले। चतुर सियार ने क्या किया इसके लिए ऊपर दिए गए विडिओ पे क्लिक करें।

 

10) बिल्ली की बुद्धिमानी 

पंचतंत्र की कहानियां (panchatantra story in hindi) में एक कहानी चालाक बिल्ली की है। एक पेड़ की खोल के अंदर एक तीतर रहता था। एक दिन वह भोजन की तलाश करते हुए बहुत दूर निकल गया, जहाँ से वापस लौटने में रात हो गयी। उसके घर को खाली देख कर एक खरगोश वहां रहने के लिए आ गया।

जब तीतर कुछ दिन के बाद वहां पंहुचा और खरगोश को वहां देखा तो उसके घर को खाली करने को कहने लगा, परन्तु खरगोश ने उसकी बात नहीं मानी। एक बिल्ली यह सब देख रही थी, उसने सोचा कि क्यों न इनकी लड़ाई का फायदा उठाकर इन दोनों को ही खा जाऊं। बिल्ली ने फिर एक चाल चली। इस कहानी को पूरा जानने के लिए ऊपर दिए गए विडिओ पे क्लिक करें।

 

11) जैसी करनी वैसी भरनी 

एक शहर में एक बनिये का लड़का रहता था। उसने धन की तलाश में विदेश जाने का विचार किया। उसके पास ज्यादा कुछ सामान नहीं था परन्तु मन भर का एक लोहे का तराजू था। उस तराजू को वह एक महाजन के पास रखकर विदेश यात्रा के लिए चला गया, जब वह विदेश से वापस लौटा तो तराजू को वापस लेने हेतु महाजन के पास गया।

महाजन उसका तराजू देना नहीं चाहता था तो उसने बनिये के लड़के से कहा कि उस तराजू को तो चूहे खा गए। बनिये का लड़का समझ जाता है कि वह तराजू वापस नहीं करना चाहता। फिर उसे एक युक्ति सूझी कि किस तरह से इसे सबक सिखाया जाए। इस पंचतंत्र की कहानी को पूरा जानने हेतु ऊपर दिए गए विडिओ पे क्लिक करें।

 

पंचतंत्र की कहानियां (panchatantra story in hindi) में से कुछ कहानियाँ आपके लिए इस लेख में लाये हैआशा है आपको यह कहानियाँ पढ़कर आनंद आया होगा ।  

 

Frequently Asked Questions

Question 1: पंचतंत्र किसने लिखी है ?
पंचतंत्र के रचयिता विष्णु शर्मा है तथा इसकी कहानियां (panchatantra story in hindi) नैतिक मूल्यों पर आधारित है ।

Question 2: पंचतंत्र की पुस्तक लिखने का क्या उद्देश्य था?

विष्णु शर्मा द्वारा रचित पंचतंत्र में पशु पक्षियों के माध्यम से नीतिव्यवहार को बताया गया है। एक राजा के तीन पुत्र थे , जो बहुत ही मंदबुद्धि थे, उन्हीं को शिक्षित करने के लिए इस पुस्तक को लिखा गया था ।

 

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